चैत्र नवरात्रि 2023: 02 पाठको ने एक साथ किया 9 दिवस का श्रीरामचरितमानस का पाठ, हवन में दी जायेंगी आहुतियां

 चैत्र नवरात्रि 2023: 02 पाठको ने एक साथ किया 9 दिवस का श्रीरामचरितमानस का पाठ, हवन में दी जायेंगी आहुतियां|

चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर में सिलाईच ग्राम के ऐतिहासिक श्री अन्चिन्त्य नाथ  मंदिर(बुढ़वा बाबा) में नवरात्रि उपलक्ष्य पर श्री रामचरितमानस के पाठ का आयोजन किया जा रहा हैं। प्रतिदिन सुबह 7.30 बजे 02 पाठक ( मोती लाल ठाकुर और शुभम पाण्डेय ) एक साथ रामचरितमानस के नवाह्न पारायण का पाठ कर रहे हैं।

कार्यक्रम का आयोजन श्री अन्चिन्त्य नाथ  मंदिर(बुढ़वा बाबा) तत्वावधान में किया जा रहा हैं। पाठ की पूर्णाहुति 30 मार्च को होगी।

क्या होता है नवाह्र पारायण का पाठ

बता दें कि सम्पूर्ण रामचरितमानस के पाठ को 9 दिनों में सम्पूर्ण करने की पारायण विधि को नवाह्नपारायण के रूप में जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि में रामचरितमानस का नवाह्नपारायण पाठ का आयोजन शुभम पाण्डेय और मोती लाल ठाकुर के द्वारा किया गया ।


“नवाह्न पारायण” का पाठ कैसे करनी चाहिए ( शुभम पाण्डेय और मोती लाल ठाकुर के द्वारा बताया गया)

राम उपासक जे जग माही । एही सम प्रिय तिन्ह के कछु नाहीं ।।

अर्थात् जगत में जितने भी रामजी के उपासक है, उनको तो इस रामायण के समान कुछ भी प्रिय नहीं है । नवाह्न पारायण अर्थात् नौ दिन हररोज नवाह्न पारायण के विश्राम स्थान अनुसार (जो मानसजी में दर्शाया गया है) पाठ करना । नवाह्न पारायण के विश्राम स्थान इस प्रकार है।

पहला विश्राम - बालकाण्ड मंगलाचरण से १२० (क) दोहे तक । दूसरा विश्राम - बालकाण्ड दोहा १२० (क) से २३९ दोहे तक । तीसरा विश्राम - बालकाण्ड दोहा २४० से बालकाण्ड पूर्णाहूति । चोथा विश्राम - अयोध्याकाण्ड मंगलाचरण से ११६ दोहे तक । पांचवा विश्राम अयोध्याकाण्ड दोहा ११७ से २३६ दोहे तक ।छठ्ठा विश्राम - अयोध्याकाण्ड दोहा २३७ से अरण्यकाण्ड दोहा २९ (क) तक । सातवाँ विश्राम - अरण्यकाण्ड दोहा २९ (ख) से लंकाकाण्ड दोहा १२ (क) तक । आठवाँ विश्राम लंकाकाण्ड दोहा -१२ (ख) से उत्तरकाण्ड दोहा १० (ख) तक । नवाँ विश्राम - उत्तराकाण्ड दोहा ११ उत्तरकाण्ड पूर्णाहूति तक ।


मानस सत्संग द्वारा संगीतमय शैली में सह-गायक वृन्द एवं वाद्यवृंद के साथ  नवाह्न पारायण किया जाता है। नवाह्न पारायण के पहले दिन आरंभ में विप्रवृन्द द्वारा भगवान का षोड्शोपचार पूजन करने के बाद पाठ की शुरुआत होती है। भावअनुसार अनेकविध रागो में मानसगान होता है। सभी पाठको को पाठ करने हेतु मानसजी ग्रन्थ भी दिये जाते है । चैत्र और आश्विन नौरात्र के दिनो में नवाह्न पारायण का विशेष रुप से आयोजन होता है। सभी मानसप्रेमी इस पारायण में भाव और प्यार से जुडते है ।

समयावधिः नौ दिन हररोज ३.३० से ४.०० घंटे तक


गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस एक प्रसिद्ध महाकाव्य ही नहीं बल्कि जीवन का मार्गदर्शक करने वाला ग्रन्थ भी है ,जिसमे तुलसीदास जी द्वारा रचित मंत्रो रूपी चौपाइयों का संकलन है ।


रचि महेश निज मानस राखा ।।

अर्थात इस ग्रन्थ की रचना स्वयं भगवान महेश की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा की गयी ,इसलिए इस ग्रन्थ की प्रत्येक चौपाई एक मंत्र है, इनके जाप या पाठ के द्वारा मनुष्य समस्त दैहिक, दैविक ,भौतिक तापो से मुक्त हो सकता है ।

नवाह्न पारायण विधि -

शारदीय नवरात्री एवं चैत्र नवरात्री में रामचरित मानस के नवाह्न पारायण पाठ का विधान है , जिसमे आप अपनी मनोकामना अथवा कार्य सिद्धि के अनुरूप सम्पुट लगा कर विधि पूर्वक पाठ कर सकते है।

(यहाँ नवाह्नपारायण का तात्पर्य रामचरित मानस के नौ विश्राम से है )

यहाँ कुछ चौपाइयां प्रेषित की जा रही है जिनका सम्पुट लगा कर आप अपनी मनोकामना पूरी या कार्यसिद्धि कर सकते है ।

जीविका प्राप्ति केलिये - बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।

विद्या प्राप्ति के लिए - जेहि पर कृपा करउ जनु जानी । कवि उर अजिर नचावहि वानी ।।

गुरु गृह गए पढ़न रघुराई । अल्प काल विद्या सब आई ।।

मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥

मनोरथ सिद्धि के लिए - भव भेषज रघुनाथ जसु, सुनइ जे नर अरु नारी ।

तिन्ह कर सकल मनोरथ ,सिद्ध करहि त्रिसिरारि ।।

सम्पत्ति की प्राप्ति के लिये- जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।

पुत्र प्राप्ति के लिये - प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान । सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।

शत्रुतानाश के लिये - बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥

यात्रा सफ़ल होने के लिये - प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥

प्रेम बढाने के लिये - सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥

विचार शुद्ध करने के लिये - ताके जुग पद कमल मनाउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ।।

श्रीहनुमान् जी को प्रसन्न करने के लिये- सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपनें बस करि राखे रामू।।

श्री सीताराम के दर्शन के लिये - नील सरोरुह नील मनि नील नीलधर श्याम ।

लाजहि तन सोभा निरखि कोटि कोटि सत काम ॥

सहज स्वरुप दर्शन के लिये- भगत बछल प्रभु कृपा निधाना। बिस्वबास प्रगटे भगवाना।।

विघ्न शांति के लिये - सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही॥

संकट-नाश के लिये - जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।

जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

विपत्ति-नाश के लिये - राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।

विशेष सम्पुट- जेहि विधि होइ नाथ हित मोरा । करउ सो वेगु दास में तोरा ।।

( अर्थात भगवन जिस भी प्रकार से मेरा हित हो वही करिये )

विधि - रामचरित मानस नौ नवाह्नपारायण अथवा तीस मासपारायण का संकलन है , नवरात्रि में नवाह्नपारायण पाठ एवं श्रावण मास में मासपारायण पाठ का विधान है।

नवरात्रि में प्रतिदिन एक नवाह्नपारायण का पाठ ऊपर प्रेषित सम्पुट (अपनी इच्छा अनुसार ) के साथ करे।

सम्पुट लगाने की विधि - किसी भी चोपाई या दोहा जिसका आपको सम्पुट लगाना है , पाठ के दौरान प्रत्येक दोहे के बाद अपने सम्पुट का उच्चारण करें।

तत्पश्चात पुनः चौपाई से पाठ करें , और अपना सम्पुट प्रत्येक दोहे के बाद लगाए , इसी क्रम के अनुसार रामचरित मानस का पाठ करें ,

तथा नौ नवाह्नपारायण विश्राम समाप्ति के पश्चात नवरात्रि के अंतिम दिन सुन्दरकांड द्वारा रामचरित मानस पाठ की पूर्णाहुति करें ।

इस प्रकार नवरात्रि में पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ रामचरित मानस के पाठ द्वारा आप अपनी मनोकामना को पूर्ण कर सकते है ।

जय श्री राम जय माता दी





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